“क्यूँ?”
“घर में कोई नही है. उपर गये और कोई घर में घुस आया तो?”
दिव्या के घर में अकेली होने के बात से ही अनिल का लंड तमतमा गया. उसका पॅंट फूलने लगा.
“दरवाजा बंद करके उपर चलो”
“कहीं कोई आया तो पता कैसे चलेगा?”
“आने दो, पढ़ाई में कोई डिस्टर्बेन्स नही होनी चाहिए. तुम्हारा ध्यान पढ़ाई में बिल्कुल नही रहता. तुम्हे पढ़ाई से अधिक लोगों की फिक्र है”
दिव्या को अनिल के इरादे की भनक लगने लगी थी. उसके निपल भी तन गये, धड़कने और साँसे तेज़ हो गयी और चूत में हलचल होने लगी. उसने दरवाजे को बंद किया और उपर चढ़ने लगी. अनिल उसके पीछे पीछे पॅंट के अंदर अपने लंड को अड्जस्ट करता हुआ चढ़ने लगा. उपर कुर्शी पर बैठते ही अनिल ने कहा
“कल का होमवर्क बनाई हो”
दिव्या ने बनाया ही कब था जो आज बनाती. “इतना पनिशमेंट के बाद भी तुम सुधरी नही हो. मुझे तुम्हारा पनिशमेंट बढ़ाना पड़ेगा. चलो अपना कमीज़ उतारो”
“क्या!”
“जो कहता हूँ चुप चाप करो, बिना इसके तुम नही सुधरने वाली हो” वो दिव्या की कमीज़ को पकड़ उपर उठाने लगा.
“कोई आ जाएगा”
तो दोस्तो दिव्या का ट्यूशन पढ़ाई का या चुदाई का तरक्की पर है आगे क्या हुआ जानने के लिए इस कहानी का अंतिम भाग ज़रूर पढ़े आपका दोस्त राज शर्मा
क्रमशः……
गतान्क से आगे……..
“कोई नही आएगा, नीचे दरवाजा बंद है” उसका सफेद चिकना पेट खिड़की से आ रहे सूरज के प्रकाश से दीप्तिमान हो रहा था और जैसे जैसे कमीज़ उपर उठती जा रही थी काली ब्रा में छिपि दो गोल चुचियाँ उसकी कमीज़ से ऐसे उभर कर बाहर आ रही थी जैसे बदल के छटने से ग्रहण लगा हुआ चाँद उभर रहा हो. अनिल ने पहली बार दिव्या की चुचियों को कमीज़ के बाहर देखा था. उसका लंड तुरंत पॅंट फाड़ कर बाहर निकलने के लिए उतावला हो गया. उसने दिव्या को फिर से बेड पकड़ कर आगे की तरफ झुकने के लिए कहा. दिव्या की मक्खन जैसी चिकनी पीठ पर ब्रा के काले स्ट्रॅप केअलावा कुच्छ भी नही था.
नीचे काले रंग की चूड़ीदार सलवार नीचे की तरफ सरकी हुई थी जिससे दिव्या की गुलाबी ब्रा का उपरी भाग बाहर झाँक रहा था. अपनी गर्म नंगी पीठ पर अनिल की शार्ड उंगलियों के स्पर्श से शिहर उठी. उसने बेड को मुट्ठी में जाकड़ लिया. अनिल अपने हाथ से दिव्या की पीठ की गर्मी को महशूष करता हुआ उसके गर्दन से कमरपर होते हुए नितंब तक गया. फिर अहिश्ते आहिस्ते उपर बढ़ कर उसके ब्रा के स्ट्रॅप को अनहुक किया. दिव्या ने अपनी आँखो को बंद कर लिया. अनिल के हाथ दिव्या की पीठ से होते हुए उसकी गोल चुचियों को अपनी हथेलियो से ढक कर मसल्ने लगे. दिव्या की चुचियों पर से ब्रा की काली पर्छाया हटा कर अनिल ने दोनो चंद्रमाओं को ग्रहण से मुक्त किया और वो चाँदनी की तरह चमक उठे. चमकते गोलाकार चाँद पर दिव्या के गुलाबी निपल्स शिखर के समान खड़े थे.
अनिल ने उन गुलाबी शिखरों को अपनी उंगलियों के बीच में दबा कर मसला. “इस्शह” दिव्या नशीले धीमी स्वर में चीखी. दिव्या की चीख ने अनिल के लंड में रक्त संचार को और तीव्र कर दिया. उसने दिव्या की चुचि को ज़ोर से मसल्ते हुए अपने लंड को उसकी गांद पर दबाया. फिर अपने एक हाथ को नीचे सरकाते हुए दिव्या के पेट पर ले गया. दिव्या की मुट्ठी काज़ोर बढ़ने लगा. जैसे जैसे अनिल के हाथ नीचे की तरफ बढ़ रहे थे वैसे वैसे दिव्या का बदन तन रहा था. उसके नितंब कस गये और दिव्या अपनी दोनो जांघों को दबाने लगी. अनिल ने दिव्या की सलवार के नाडे को खीच कर खोल दिया और अपने हाथ से उसकी सलवार को नीचे सरका कर दिव्याको नंगा कर दिया. सलवार के नीचे जाते ही गुलाबी पॅंटी के बीच आधे छिपे दिव्या के पुष्ट सुडौल नितंब प्रत्यक्ष हो उठे.
अनिल ने अब तक दिव्या को केवल ढीले सलवार और कमीज़ में देखा था जिसमे उसके जिश्म की खूबसूरती पूरी तरह से नही झलकती थी. नंगी दिव्या के जिश्म का नज़ारा कुच्छ और ही था. साढ़े पाँच फुट लंबा कद, दुबली काया – 26 की कमर. दुबली साइलेंडरिकल बदन पर दो गोल पुष्ट उरोज़ और कमर के नीचे औसत से अधिक बड़े नितंब दिव्या को बहुत सेक्सी बना रहे थे. दिव्या के इस कामिनी रूप देखने के पस्चात अनिल के लिए सब्र रखना मुश्किल हो रहा था. उसने अपना शर्ट और पॅंट उतारना सुरू कर दिया. बंद आँखों में मूर्ति की तरह झुक कर खड़ी दिव्या अचानक से अनिल कास्पर्श ख़त्म होने से थोड़ी अचंभित थी. उसने ये उम्मीद नही किया था कि उसके अनिल सर उसके सामने नंगे हो जाएँगे. थोड़ी देर बाद जब अपनी जांघों पर अनिल के जांघों की गर्मी,
अपनी चूत के पास अनिल के लंड, अपनी गांद पर अनिल के बॉल और पीठ पर अनिल की नंगी छाती महशूष करने के बाद उसे यकीन हो चुका था कि सर नंगे हो गये हैं. पर उसकी आँख खोल कर देखने की हिम्मत नही हो रही थी. उसने अपने निचले होंठ को दांतो में दबा लिया और सर के अगले कदम का इंतेज़ार करने लगी. दिव्या को अधिक देर तक इंतेज़ार नही करना पड़ा. अनिल का एक हाथ फिर से उसकी चुचियों से खेल रहा था और दूसरा हाथ नीचे उसकी पॅंटी के उपर से उसकी गीली चूत को मसल रहा था. चुदाई के इस पहले मौके में अनिल केलिए सब्र रखना संभव नही था. वह बिना अधिक समय गवायें दिव्या की पॅंटी को नीचे सरका कर उसकी चूत को अपनी उंगली से मसल्ने लगा. ज़ोर से धड़कते दिल और तेज़ चलती सांसो के बीच बंद आँखों में अपने होंठ को दाँतों तले दबाए दिव्या ने अपनी जांघों को एक दूसरे की तरफ दबाया.