मैंने माँ के आदेश पर उसकी चूचियों को अपने हाथो में थाम लिया और उसकी चूची को खींच कर उसके निप्पल से अपने मुँह को सटा कर चूसते हुए दूसरी चुचि को खूब ज़ोर ज़ोर से मसलने लगा। माँ अब अपनी गांड को पूरा उछाल उछाल कर मेरे लंड को अपनी गरम चूत में डलवा रही थी। उसकी चूत एक दम अंगीठी की तरह से गरम हो चुकी थी और खूब पानी छोड़ रही थी मेरा लंड उसकी चूत के पानी से भीग कर सटा सट उसकी चूत के अंदर बाहर हो रहा था।
माँ के मुँह से गालियों की बौछार हो रही थी। वो बोल रही थी, चोद मेरी चूत को दम लगाके, कितना मज़ा आ रहा है, तेरे बाप से अब कुछ नहीं होता अब तो तू ही मेरी चूत की आग को ठंडी करना, मैं तुझे चुदाई का शहनशाह बना दूँगी, तेरे उस बाप को छूने भी नहीं दूँगी में अपनी चूत, तू ही चोदना मेरी चूत को और मेरी आग ठंडी करना, कहाँ था तू, अब तक तो मैं तेरे लंड का कितना पानी पी चुकी होती, चोद रे चोद अपनी गांड तक का ज़ोर लगा, चोदने में आज अगर तूने मुझे खुश कर दिया तो फिर मैं तेरी गुलाम हो जाउंगी।
मैं माँ की चूचियों को मसलते हुए अपनी गांड को नीचे से उछलता जा रहा था। मेरा लंड उसकी कसी चूत में गपागप…फ़च फ़च की आवाज़ करता हुआ अंदर बाहर हो रहा था, हम दोनो की साँसे तेज हो गई थी और कमरे में चुदाई की माँदक आवाज़ गूँज रही थी और दोनो के बदन से पसीना छूट रहा था और सांसो की गर्मी एक दूसरे के बदन को महका रही थी। माँ अब शायद थक चुकी थी। उसके धक्के मारने की रफ़्तार अब थोड़ी धीमी हो गई थी और अब वो हांफने भी लगी थी।
थोरी देर तक हाँफते हुए वो धक्का लगाती रही फिर अचानक से पस्त हो कर मेरे बदन के ऊपर गिर गई और बोली ओह मैं तो थक गई इतने में आम तौर पर मेरा पानी तो निकल जाता है। पर आज नये लंड के जोश में मेरा पानी भी नहीं निकल रहा। ओह मज़ा आ गया आज से पहले ऐसी चुदाई कभी नहीं हुई, अब तो तुझे मेरे ऊपर चढ़ कर धक्का मारना होगा। तभी चुदाई हो पाएगी साले, कह कर वो अपने पूरे शरीर का भार मेरे बदन पर दे कर लेट गई।
मेरी साँसे भी तेज चल रही थी मगर लंड अब भी खड़ा था। दिल में चुदाई की ललक थी और अब तो मैंने चुदाई भी सीख ली थी। मैंने धीरे से माँ के कुल्हो को पकड़ का नीचे से ही धक्का लगाने का प्रयास किया और दो तीन छोटे छोटे धक्के मारे मगर क्योंकी माँ थोड़ा थक गई थी, इसलिए वो उसी तरह से लेटी रही बिना हिले।
माँ के भारी शरीर के कारण मैं उतने ज़ोर के धक्के नहीं लगा पाया जितना लगा सकता था। मैंने माँ को बाँहो में भर लिया और उसके कान के पास अपने मुँह को ले जाकर फुसफुसाते हुए बोला, ओह माँ जल्दी करो ना और धक्का मारो ना अब नहीं रहा जा रहा है, जल्दी से मारो ना। माँ ने मेरे चेहरे को गौर से देखते हुए मेरे होंठो को चूम लिया और बोली थोड़ा दम तो लेने दे साले कितनी देर से तो चुदाई हो रही है। थकान तो होगी ही ना।
पर माँ मेरा तो लंड लगता है फट जाएगा मेरा जी कर रहा है कि खूब ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाऊं। तो मार ना, मैंने कब मना किया है, आजा मेरे ऊपर चड़ के खूब ज़ोर ज़ोर से चुदाई कर दे। माँ धीरे से मेरे ऊपर से उतर गई, उसके उतरने पर मेरा लंड भी फिसल के उसकी चूत से बाहर निकल गया था। लेकिन माँ ने कुछ नहीं कहा और बगल में लेट कर अपनी दोनो जाँघो को फैला दिया।
मेरा लंड एक दम रस से भीगा हुआ था और उसकी चूत लाल रंग की किसी पहाड़ी आलू के जैसे लग रही थी। मैंने अपने लंड को पकड़ा और सीधा अपनी माँ की जाँघो के बीच डाल दिया। उसकी जाँघो के बीच बैठ कर मैं उसकी चूत को गौर से देखने लगा। उसकी चूत पूरी पिचक रही थी और चूत का मुँह अभी थोड़ा सा फूला हुआ लग रहा था। चूत का गुलाबी छेद अंदर से झाँक रहा था और पानी से भीगा हुआ महसूस हो रहा था। मैं कुछ देर तक रुक कर उसकी चूत की सुंदरता को निहारता रहा।
माँ ने मुझे जब कुछ करने की बजाए केवल घूरते हुए देखा तो वो सिसकते हुए बोली “क्या कर रहा है। जल्दी से डाल ना चूत में वीर्य को, ऐसे खड़े खड़े खाली घूरता रहेगा क्या? कितना देखेगा चूत को, अबे उल्लू, देखने से ज्यादा मज़ा चोदने में है, जल्दी से अपना मूसल डाल दे मेरी चूत में अब नाटक मत कर। माँ ने इतना कहकर मेरे लंड को अपने हाथो में पकड़ लिया और बोली ठहर मैं लगाती हूँ। साले और मेरे लंड के मुहं को चूत के खुले छेद पर घिसने लगी और बोली चूत का पानी लग जाएगा और चिकना हो जाएगा समझा फिर आराम से चला जाएगा चूत मैं। माँ के ऊपर झुक गया और अपने आप को पूरी तरह से तैयार कर लिया अपने जीवन की पहली चुदाई के लिए।